Wednesday 1 April 2015

जिवन बिमा

जब कर्ता कमाये पैसे चार
तब चले जिवन संसार
चले बच्चों को शिक्षा
बुढे माँ बाप की लाठी
पत्नी के ख्वाहिशोओ की पुर्ती
हसता खेलता परिवार सारा
जब कर्ता कमाये पैसे चार

सुबह से निकले दिनभर भागे
खुशहाली पाने के लीऐ
दिन गुजरे ,उमर गुजरी
दौलत कमाने मे

सपने आखों मे लिए
दिनरात भागे ये बेचारा
एक ही चाह मे कि..मंगल
कर दु परिवार का जिवन सारा

सारी खुशीया डाल दु
उनके कदमों में,,हसरते
सारी पुरी कर लू इसी जनम मे
इस चाह में बेचारा दिनरात भागे

गवान न करें कीसी काल की
नजर ना लगे इसको.. बिखर ना जाऐ सपने
इसके ना रह जाए अरमान अधुरे

इस काल से बचना है तो बिमा करा लो भैया
यह चिराग है अल्लादिन का..तू रहे या ना रहे पार करेगा ये तेरे अरमानो की नय्या........

ये तेरा साया है तेरा रोल निभायेगा
जो देखे थे सपने तुने ये वो पुरे करवाऐगा
ये है डुबती नय्या का सहारा
जिवनसागर का किनारा
बुढापे की लाठी..सपनों की पुर्ती

                          @ अशोक मटकर
                               08484049707

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