Friday 6 November 2015

आँसू

बहने दीजिये इन आसुओंको
इन्हे पलकों तले मत छुपाईए
नहीं तो ये नासूड बन कर इंतना
दर्द देंगे ....की उस दर्द को आप
सह नहीं पाएंगे |

अजीब है ये आसु ,गम के मातम
में तो बहते ही है...पर खुशियोंकी
सौगात में भी कहा रुकते है, बहना
ही है ,इनका काम कयोकि इनका
कनेक्शन सीधा दिल से होता है |

रोते हुए ही रखे थे इस दुनिया में कदम
माँ के आँखों से भी छलके थे ये आसु
बाप का भी दिल भर आया था
ख़ुशी के मारे

जब छूटता है अपनों का साथ
कोई छोड दे बीच सफर में हाथ
मिले वफा को बेवफाई ,प्यार में
मिले कोई हरजाई ..तो तडपते
दिल से निकलते  है ये आँसु |

जब मिले खेल में हार
जब लगे ना बेढा पार
जब की मेहनत अपार
जीवन के इस सफर में
तब छलकते है ये आसु

अरमानो से भरा होता है
ये दिल, सपनो में खोया
होता है ये दिल...पर हकिगत
में हर सपना पूरा नहीं होता है
किसीका तब न जाने
क्यों रो पडता है ये दिल ??

अपनों से तो है ही रिश्ता इनका
गैरो के लिए भी टपकते है कभी कभी
बस बात दिल को छुने वाली चाहिए
हर किसी से है , रिश्ता इनका .......
ना इन्हें कोई अपना गैर
जब दिल से गुजरती है कोई बात
वही थिरकते है इनके पैर |

इसलिए बहने दीजिये इन्हें
पलको तले ना छुपाईए इन्हे, नही
तो ये नासूड बन कर इतना दर्द
देंगे , की उस दर्द को आप सह
नहीं पायेगे |

                     @अशोक शंकर मटकर
                         08484049707

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